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पुनर्वसु नक्षत्र (Punarvasu Nakshatra) भारतीय ज्योतिष में एक प्रमुख नक्षत्र है, जो मिथुन राशि के अंतर्गत आता है। यह नक्षत्र विशेष रूप से सकारात्मक और शुभ प्रभावों के लिए जाना जाता है। पुनर्वसु का शाब्दिक अर्थ है “फिर से उज्जवल होना” या “नई शुरुआत”। इसे भगवान राम के साथ जोड़ा जाता है, क्योंकि इसे उनके जन्म से भी संबंधित किया जाता है।

यह नक्षत्र द्वितीय (अर्थात दो) नक्षत्रों का हिस्सा है, जो अड्र (आदि) और पूरव (पूर्व) होते हैं। पुनर्वसु नक्षत्र का प्रतीक “धनुष” (Bow) और “पारदर्शिता” (Light) हैं।

पुनर्वसु नक्षत्र के गुण:

  1. सकारात्मकता और पुनर्नवा ऊर्जा: यह नक्षत्र नवीनीकरण और नई शुरुआत का प्रतीक है।
  2. धैर्य और सृजनात्मकता: पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे लोग प्रायः धैर्यवान और स्थिर होते हैं। साथ ही, उनमें रचनात्मक सोच और विचारशीलता होती है।
  3. आध्यात्मिकता: इस नक्षत्र के जातकों में आध्यात्मिक प्रवृत्तियां भी देखी जाती हैं।
  4. दृष्टिकोण: इन जातकों में अच्छाई की ओर देखने की प्रवृत्ति होती है, जिससे उन्हें जीवन के कठिन समय में भी उम्मीद की किरण मिलती है।

पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी ग्रह: पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी ग्रह “जुपिटर” (बृहस्पति) है, जो शिक्षा, ज्ञान, और समृद्धि का कारक ग्रह माना जाता है।

सकारात्मक और नकारात्मक पहलू:

  • सकारात्मक पहलू: पुनर्वसु के जातक अच्छे शिक्षक, दार्शनिक, और समाज के लिए उपयोगी होते हैं। उनका मन बहुत साफ और शुभ रहता है।
  • नकारात्मक पहलू: कभी-कभी इन जातकों को निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है, और वे कभी-कभी अपनी इच्छाओं के बारे में उलझन में रहते हैं।

यह नक्षत्र प्रायः अच्छे अवसरों, समृद्धि, और जीवन में नई शुरुआत की ओर इशारा करता है।