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आश्लेषा (अंग्रेज़ी में “Ashlesha”) नक्षत्र भारतीय ज्योतिष शास्त्र के 27 नक्षत्रों में से एक है। यह नक्षत्र कर्क राशि के अंतर्गत आता है और इसका स्वामी ग्रह बुध (Mercury) है। आश्लेषा नक्षत्र को “सर्प नक्षत्र” भी कहा जाता है क्योंकि यह एक सर्प की तरह घुमावदार और लचीला होता है।

विशेषताएँ:

  1. प्रभाव और स्वभाव:
    यह नक्षत्र तीव्र, बुद्धिमान और चतुर व्यक्तित्व को दर्शाता है। आश्लेषा में जन्मे लोग आमतौर पर बहुत ही सूक्ष्म और गहरे होते हैं। वे अपनी भावनाओं को छुपाकर रखते हैं और अपने भीतर की बातों को दूसरों से प्रकट नहीं करते।

  2. सकारात्मक गुण:
    आश्लेषा में जन्मे लोग अनुशासित, स्थिर, और मानसिक रूप से मजबूत होते हैं। वे अपनी कठिनाइयों का सामना धैर्यपूर्वक करते हैं और अपने कार्यों में प्रतिबद्ध होते हैं।

  3. नकरात्मक गुण:
    कभी-कभी आश्लेषा नक्षत्र के प्रभाव में लोग थोड़ा चतुराई से काम लेते हैं और कभी-कभी संदिग्ध रूप से व्यवहार करते हैं। उनका स्वभाव जिद्दी और कठोर हो सकता है, और वे अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कभी-कभी अन्य लोगों को धोखा भी दे सकते हैं।

  4. देवता:
    आश्लेषा नक्षत्र का देवता नाग देवता होते हैं, जो सर्प के रूप में होते हैं। इस नक्षत्र का संबंध जल और सर्पों से जुड़ा हुआ है, जो इसके रहस्यमय और गहरे स्वभाव को दर्शाता है।

शारीरिक और मानसिक प्रभाव:

  • इस नक्षत्र में जन्मे लोग शारीरिक रूप से आमतौर पर स्वस्थ होते हैं, लेकिन कभी-कभी मानसिक दबाव या तनाव का सामना कर सकते हैं।
  • यह नक्षत्र मानसिक तेज और ज्ञान की ओर भी प्रवृत्त करता है, जिससे इन लोगों को गहरे विचार और विश्लेषण में रुचि होती है।

आश्लेषा नक्षत्र का प्रभाव जीवन में गहरे और सूक्ष्म परिवर्तन लाने वाला हो सकता है, जो व्यक्ति को अपने अंदर के सच को समझने की ओर प्रेरित करता है।